विद्यालय प्रबंधन की अवधारणा तथा उद्देश्य व विद्यालय प्रबंधन के कार्यक्षेत्र।

 विद्यालय की धारणा (Concept of school management) 

विद्यालय एक संगठन है। विद्यालय प्रबंधन इस संगठन के इस प्रकार के कृत्य से संबंधित है कि जिन उद्देश्यों के लिए संगठन स्थापित किया गया है, वह प्राप्त कर लिये जायें। यह विद्यालय के प्रबंधन पर ही निर्भर है कि विद्यालय के सब महत्वपूर्ण कार्य एवं क्रियाएं संपन्न हो सके। 


विद्यालय प्रबंधन की अवधारणा तथा उद्देश्य व कार्यक्षेत्र




विद्यालय प्रबंधन के उद्देश्य (Objectives of school management) 


1. विद्यार्थियों का शारीरिक, सामाजिक एवं नैतिक विकास विश्वस्त किया जा सके। 

2. विद्यार्थियों की शिक्षा की योजना उनकी आवश्यकताओं, अभिरुचियों एवं लालसाओं के अनुरूप बनाई जा सके। 

3. सीखने तथा विद्यार्थियों की अन्य क्रियाओं के निष्पादन में व्यक्तिगत विभेदो को ध्यान में रखा जाए। 

4. उपलब्ध मानव तथा भौतिक संसाधनों का सबसे उत्तम उपयोग शिक्षण-सीखने की क्रियाओं में किया जाए। 

5. यह निश्चय कर लिया जाये कि पर्याप्त आर्थिक संसाधन उपलब्ध हैं तथा उनका सबसे अच्छा उपयोग उचित ढंग से बजट बनाकर निश्चित कर लिया जाये। 

6. शिक्षकों के कार्य का पर्यवेक्षण किया जाए और उनकी योग्यता तथा रूचि के अनुसार उन्हें उत्तरदायित्व दिये जाएं। 

7. विद्यालय के कार्यालय का उचित प्रबंध किया जाये और विद्यार्थियों संबंधी सब लेखाओ को व्यवस्थित ढंग से रखा जाये। 

8. विद्यालय शिक्षण तथा अन्य क्रियाओं के लिए समय सारणी बना ली जाये। 

9. विद्यालय की वृध्दि की योजना उसके दर्शन के अनुरूप बना ली जाये। 

10. सरकारी संस्थाओं एवं अन्य आर्थिक सहायता देने वाली संस्थाओं से संपर्क रखा जाये। 

11. विद्यार्थियों की उपलब्धि के मूल्यांकन के लिए तथा शिक्षकों के कार्य के परीक्षण के लिए आयोजन किया जाये। 

12. विद्यालय के कर्मचारियों के चुनाव, नियुक्ति तथा वेतन के लिए पद लिए जाये। 


विद्यालय प्रबंधन का कार्यक्षेत्र(Scope of the school Management) 


1. विद्यालय प्रबंधन विद्यालय का बजट बनाता है और विद्यालय की क्रियाओं के लिए धन को इकट्ठा करता है।

2. यह निश्चय करता है कि विद्यालय का धन उचित प्रकार से खर्च किया जा रहा है और सब व्यय का लेखा रखा जा रहा है। 

3. यह विद्यालय के भवन तथा सामान का प्रबंध करता है। यह निश्चय करता है कि विद्यालय की इमारत इत्यादि का सबसे उत्तम उपयोग हो रहा है और यह अच्छी दशा में हैं। 

4. यह विद्यालय के भवन निर्माण का या यदि भवन बना हुआ है तो के विस्तार का अथवा उसकी मरम्मत की योजना बनाता है। 

5. यह शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों का चयन, नियुक्ति एवं कार्य वितरण करता है। 

6. यह कर्मचारियों में सहयोग से कार्य करने की भावना को बढ़ाता है। 

7. यह भौतिक पदार्थों, श्रव्य-दृश्य सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक साज-सज्जा तथा अन्य वस्तुओं को शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा अन्य कर्मचारियों को उपलब्ध कराता है। 

8. यह पाठ्यक्रम निर्माण में सहयोग देता है। 

9. यह विद्यार्थियों के लिए स्वास्थ्य सेवा का आयोजन करता है। 

10. यह विद्यार्थियों की उपलब्धियों का मूल्यांकन करता है। परीक्षाओं का आयोजन करता है और मूल्यांकन कार्ड तथा परीक्षाफल लेखा का रख-रखाव करता है। 

11. यह शिक्षक के कार्य का लेखा-जोखा रखता है और उनके आगे बढ़ने के लिए मार्ग निर्धारित करता है। 

12. यह समुदाय के साथ संबंध स्थापित करता है और विद्यार्थियों के अभिभावकों से संपर्क रखता है। यह जनता को विद्यालय के उद्देश्यों, आवश्यकताओं और उपलब्धियों से परिचित रखता है। 


उपरोक्त क्रियाओं के अतिरिक्त भी कुछ अन्य क्रियायें हैं जो विशिष्ट प्रकार की हैं और विशिष्ट अवसरों पर होती हैं वह भी प्रबंधन के कार्य क्षेत्र में आती हैं। उदाहरण के लिए विद्यालय का सालाना जलसा या वैज्ञानिक प्रदर्शनी या प्रतिस्पर्धात्मक खेलकूद सब विद्यालय प्रबंधन के कार्य क्षेत्र में आते हैं।


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