सिस्टम क्या है: विशेषताएँ तथा सिस्टम के प्रकार

 

सिस्टम क्या है विशेषताएँ, प्रकार

सिस्टम की परिभाषा:

कार्यकीय इकाइयों के मध्य संगठित संबंधों को सिस्टम के रूप में जाना जाता है। एक सिस्टम इसलिए विद्यमान होता है क्योंकि उसे एक या अधिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए डिजाइन किया जाता है।

सिस्टम को आपस में निर्भर इकाइयों के समूहों की ऐसी कड़ी के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जिन्हें किसी विशेष लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसी योजना के अनुसार आपस में एक साथ जोड़ा जाता है। सिस्टम के अध्ययन के तीन आधारभूत उद्देश्य होते हैं:

1) सिस्टम का निर्माण पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए। 

2) घटकों के मध्य अंतर्सम्बंध और परस्पर निर्भरता होनी चाहिए।

3) संगठन के लक्ष्यों को इसके सब-सिस्टम्स या उप प्रणालियों के लक्ष्यों से अधिक प्राथमिकता मिलनी चाहिए। 


सिस्टम की विशेषताएँ: 

कुछ ऐसी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं जो सभी सिस्टम्स में पाई जाती हैं: संगठन, पारस्परिक क्रिया, परस्पर निर्भरता, अखंडता और एक केन्द्रीय लक्ष्य। 

1) संगठन: इसका संबंध संरचना और क्रम से होता है । यह घटक तत्वों को संगठित करने की वह विधि है जो विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं।


2) पारस्परिक क्रिया: इसमें वह तरीका अंतर्निहित है जिसमें प्रत्येक इकाई सिस्टम के अन्य घटकों के साथ मिलकर काम करती है। 

3) परस्पर निर्भरता: इसका तात्पर्य यह है कि संगठन के अवयव या कम्प्यूटर इकाइयाँ एक-दूसरे पर निर्भर रहें। 4) अखंडता: इसका सीधा सा अर्थ सिस्टम्स की संपूर्णता है। अखंडता का संबंध इस बात से है कि सिस्टम कैसे आपस में जुड़ा हुआ है। इसका महत्व भौतिक स्तर पर किसी भाग या स्थान को आपस में विभाजित करने से भी बढ़कर है । इसके अनुसार सिस्टम के अंग सिस्टम में एकसाथ मिलकर काम करते हैं फिर चाहे प्रत्येक अंग कोई विशिष्ट कार्य ही क्यों न कर रहा हो। 

5) केन्द्रीय लक्ष्य: प्रारंभिक चरण में यूजर को मुख्य लक्ष्य और उसे प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले आवश्यक कार्य स्पष्ट कर देना चाहिए । उद्देश्य वास्तविक या घोषित हो सकते हैं। महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि सफल डिजाइन और रूपातंरण के लिए एनालिसिस को परिष्कृत करते समय यूजर को कम्प्यूटर एप्लीकेशन का केन्द्रीय लक्ष्य अवश्य ज्ञात होना चाहिए।

>>सिस्टम विकास जीवन चक्र 

सिस्टम के विभिन्न प्रकार:

       सिस्टम को वर्गीकृत करने की अनेक विधियाँ है। सामान्य वर्गीकरण इस प्रकार है:

(1) भौतिक अथवा अमूर्त सिस्टम: 

ऐसी कोई भी वास्तविक वस्तु जो संचालन की दृष्टि से स्थिर अथवा गतिशील हो, भौतिक सिस्टम कहलाती है। उदाहरण के लिए कार्यालय, डेस्क और कुर्सियाँ जो कॉलेज अथवा स्कूल के संचालन में सहायक होते हैं, कॉलेज अथवा स्कूल के भौतिक हिस्से हैं । वे दिखाई देते हैं और उन्हें गिना जा सकता है, वे स्थिर है । इसके विपरीत प्रोग्राम किया हुआ एक कम्प्यूटर एक गतिशील सिस्टम है। कोई भी अवधारणात्मक या अभौतिक वस्तुएँ अमूर्त सिस्टम के रूप में जानी जाती है। यह सूत्रों के समरूप हो सकती है जो वेरिएबल्स के समहों के मध्य संबंधों को दर्शाती हैं।

(2) खुले अथवा बंद सिस्टम: 

यह ऐसा वर्गीकरण है जो स्वतंत्रता के स्तर के आधार पर किया जाता है । एक खुले सिस्टम में इसके पर्यावरण के साथ कई इंटरफेज़ होते हैं। यह इसको सीमा-रेखा के बाहर पारस्परिक क्रिया की अनुमति देता है। यह बाहर से इनपुट लेता है और आउटपुट को बाहर स्थानांतरित करता है । एक इनर्फोमेशन सिस्टम इसी श्रेणी में आता है। एक बंद सिस्टम पर्यावरणीय प्रभावों से पृथक होता है  वास्तविक जीवन में पूरी तरह से बंद सिस्टम दुर्लभ हैं।

(3) मानव निर्मित इनफोर्मेशन सिस्टम:

प्राय: सूचना किसी अवस्था या घटना के बारे में अनिश्चितता को कम कर देती है । यूजर और एनालिस्ट के मध्य संचार का मुख्य कारण इनफोर्मेशन सिस्टम ही है । यह हमें निर्देश, आदेश और फीडबैक देता है। यह डिसीजन मेकर्स के मध्य संबंधों की प्रकृति का पता लगाता है । इनफोर्मेशन सिस्टम को उपकरणों, प्रक्रियाओं, और संचालन सिस्टम के ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसे यूजर आधारित मानदंडों को केन्द्र में रखकर सूचना निर्मित करने और इसे यूजर को नियोजन, नियंत्रण और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए प्रेषित करने हेतु बनाया जाता है।




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