निर्गुण भक्तिधारा- विशेषताएँ, काव्यधारा। सगुण भक्तिधारा- काव्यधारा, विशेषताएँ

निर्गुण भक्तिधारा 

हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में ही इस्लाम के निराकार अल्लाह एवं भारतीय दर्शन के अद्वैत से समन्वित होकर भक्ति की निर्गुण धारा का जन्म हुआ। निर्गुण भक्ति के अन्तर्गत ईश्वर और उसके रहस्य को प्राप्त करने के लिए ज्ञान और प्रेम की दो प्रणालियों को अपनाया गया । इस निर्गुण भक्ति प्रणालियों का ज्ञानाश्रायी या सन्त काव्यधारा और प्रेमाश्रयी या सूफी काव्यधारा नामो से पुकारा गया है। इन दोनों धाराओं का मल्यांकन इस प्रकार किया जा सकता हैं - 


ज्ञानमार्गी या सन्त काव्यधारा-

संत कवियों ने ईश्वर प्राप्ति के लिए ज्ञान को अपनाया । इनका मत सन्तमत नाम से अभिहित किया गया है। इन सन्तों के हठयोग, वेदान्त, सूफी प्रेम साधनों और अहिंसा आदि हिन्दु और इस्लाम के सिद्धान्तों का समन्वय करके अपना मत प्रस्तुत किया है। सन्त कवियों में गुरूनानक, दादूदयाल, सुन्दरदास, मलूकदास, चरणदास, नामदेव, रेदास, धर्मदास और कबीर प्रसिद्ध हैं। 


० विशेषताएँ

इस काव्य की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं


1) सन्त काव्य की विषयवस्तु का सम्बन्ध भौतिक जगत से अधिक सूक्ष्म आध्यात्मिक विचारों से है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि इनके काव्य में दार्शनिक और साम्प्रदायिक विचारों का वर्णन प्रमुखता से हुआ है। 2) सन्त कवियों की विचारधारा निजी अनुभूतियों पर आधारित है। अत: उसमें दर्शन की शुष्कता न होकर काव्य की-सी तरलता मिलती है। उनके उपदेशों में विधि और निषेध दोनों का समन्वय हुआ है। 

3) सन्त कवि निर्गुण ईश्वर के विश्वासी थे। सभी वर्गों और समूची जातियों के लिए वह निर्गुण एकमात्र ज्ञानगम्य है।

4) सन्त कवियों ने अवतारवाद का विरोध किया । बहुदेववाद का खण्डन करके एकेश्वरवाद की स्थापना की । इन कवियों का विश्वास था कि अवतार जन्म-मरण के बन्धन में ग्रस्त है। अत: निराकार ब्रह्म की उपासना ही श्रेयस्कर है।

5) गुरू की महत्ता को स्वीकार किया गया, उसे भगवान से भी अधिक महत्व मिला।

साखी, दोहा, चौपाई आदि का प्रयोग किया गया है। यों इनकी भाषा में पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग भी हुआ है यथा शून्य, अन्हद्, निर्गुण, सगुण, अवधूत, इडा, पिंगला और सुषुम्ना । कबीर इस धारा के प्रमुख कवि हैं।  वस्तुत: सन्त काव्य का महत्व काव्य-तत्व और विचार-तत्व दोनों ही दृष्टियों से है। 


० प्रेममार्गी या सूफी काव्यधारा

निर्गण सन्तों कबीर आदि ने धार्मिक क्षेत्र में हिन्दु-मुस्लिम जनता में एकता के लिये प्रयत्न किया, किन्तु सूफी प्रेममार्गी कवियों ने हिन्दु-मुस्लिम दोनों में सांस्कृतिक एकता का स्तुत्य प्रयास किया और इन कवियों को इस कार्य मे अपेक्षाकृत अधिक सफलता मिली। सूफी कवियों की विशेषताएँ इस प्रकार है


1) सूफी कवियों ने हिन्दुओं में प्रचलित लौकिक प्रेम कहानियों के माध्यम से अलौकिक प्रेम की अभिव्यंजना की है। इनके द्वारा प्रबन्ध काव्यों का प्रणयन अधिक हुआ है। जायसी ने 'पद्मावत' लिखा | मंझन ने "मधुमालती'' लिखी। 


2) इनके प्रबन्ध काव्यों में वर्णन की अधिकता है। अनेक प्रकार के वस्तु वर्णन इन काव्यों में सुरक्षित हैं। 


3) सूफी काव्यधारा का प्रमुख प्रतिपाद्य प्रेम है । प्रेम में भी वियोग पक्ष को प्रधानता दी गई है । इन कवियों ने प्रेमी और प्रेमीकाओं की दर्दभरी छटपटाहट पर जितना ध्यान दिया है, उतना अन्य बातों पर नहीं। 


4) "प्रेम की पीर'' का जैसा हृदयाकर्षण वर्णन इन कवियों ने किया है, वैसा किसी और धारा के कवियों ने नहीं । इन कवियों का विश्वास था कि प्रेम का वास्तविक रूप विरह में निखरता है । जायसी का 'पद्मावत' इसका प्रमाण है। सूफी प्रेमकाव्यों में हिन्दु समाज की प्रेमकथाओं का वर्णन मिलता है।


सगुण भक्तिधारा 

सगुण भक्तिकाव्य की पृष्ठभूमि में वैष्णव धर्म और भक्ति का समृद्ध साहित्य है। इस काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ- ईश्वर की सगुण रूप में उपासना, अवतारवादी दृष्टिकोण, लीला रहस्य, रूपोपासना, शंकराचार्य के अद्वैतवाद का विरोध, गुरू की महत्ता, भक्ति का प्राधान्य, जातिभेद का निषेध और लोक कल्याण की भावना। सगुण काव्य की दो धाराएँ हैं


० राम भक्ति और कृष्ण भक्तिधारा

राम भक्ति काव्यधारा-

रामानुज के शिष्य रामानन्द ने उनके प्रयत्नों से उत्तर भारत में राम भक्ति की लहर फैली । यों तो इस काव्यधारा में अनेक कवि हुए, किन्तु तुलसीदास को

विशिष्ट स्थान प्राप्त है। इस कार्य की धारा की प्रमुख विशेषताएँ हैं-

1) इस धारा के कवियों के आराध्यदेव राम हैं जो विष्णु के अवतार और साक्षात ब्रह्मस्वरूप है। जिन्होंने पाप के विनाश और धर्मोद्धार के लिए युग-युग में अवतार लिए हैं। राम शक्ति, शील और सौन्दर्य के प्रतीक रहे है। 


2) रामकाव्य का दृष्टिकोण समन्वयवादी रहा है। राम के साथ-साथ कृष्ण, विष्णु, महादेव, गणेश आदि सभी की उपासना इस काव्य में की गई है। तुलसी के राम स्वयं सेतुबन्ध के अवसर पर शिव की पूजा करते हैं। 


3) राम काव्य का आग्रह लोग संग्रह की भावना पर रहा है। इस साहित्य में जीवन की अनेक उच्च भूमियाँ प्रस्तुत की गई है। इन्होंने गृहस्थ जीवन की उपेक्षा नहीं की बल्कि लोकसेवी और आदर्श गृहस्थ राम-सीता को उपस्थित करके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने का स्तुत्य प्रयास किया है। 


4) रामकाव्य में भक्ति की प्रधानता है । ज्ञान और भक्ति में इस काव्यधारा में भक्ति को श्रेष्ठ प्रमाणित किया गया है। इसमें नवाध भक्ति का पूर्ण विधान मिलता है। 


5) राम काव्य में प्राय: सभी रसों की आयोजना की गई है, पर सेवक सेव्य भाव की भक्ति होने के कारण निर्वेदजन्य शान्त रस की ही प्रधानता इस काव्यधारा में मिलती है।


6) राम काव्यधारा के पात्र आचार और लोक मर्यादा का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करते हैं । ये चरित्र महान अनुकरणीय रहे हैं। जीवन की समस्त वृत्तियों का चित्रण होने के कारण इस काव्यधारा में एक प्रकार की र्वांगीणता मिलती है। 


० कृष्ण भक्ति काव्यधारा

राम काव्य की ही भाँति कृष्ण भक्ति काव्य की महत्ता भी असंदिग्ध है। एक में तुलसी प्रधान है और दूसरे में सूर । इस काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ हैं-


1) कृष्ण भक्ति काव्य में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन प्रमुख है। कृष्ण की तीन छवियाँ प्रधान रही हैं- धर्मोपदेष्टा ऋषि, नीति विशारद क्षत्रिय और गोपाल कृष्ण या गोपीवल्लभ कृष्ण।


2) कृष्ण काव्य का उपजीव्य भागवतपुराण है । भागवत में आदि से अन्त तथा कृष्ण का ब्रह्मत्व और उनके चरित्र की अलौकिकता बनी रहती है, जबकि हिन्दी कवियों के कृष्ण में बहुत कम स्थानों पर अलौकिकता है। वे बालरूप में बाललीलायें और युवारूप में प्रणयलीलायें करते हैं।


3) हिन्दी के कृष्ण काव्य में भक्ति, श्रृंगार की पीठिका पर विकसित हुआ है। इस काव्य में श्रृंगार, वात्सल्य और शान्त रस की प्रमुखता है। वात्सल्य और श्रृंगार के चित्रण में कृष्ण भक्ति काल के अन्तर्गत सूरदास सर्वोपरि हैं। 


4) कृष्ण भक्त कवियों ने कान्ताभाव की भक्ति को महत्व दिया है। निम्बार्क सम्प्रदाय में स्वकीया भाव पर बल दिया गया है, तो चैतन्य सम्प्रदाय में परकीया भाव पर वस्तुत: परकीया भाव आदर्श प्रेम का प्रतीक है। 


5) कृष्ण भक्ति कवियों के पात्र प्रतीकात्मक माने गये हैं। राधा माधुर्य भाव की भक्ति की उच्चतम प्रतीक है। वे कृष्ण की आहालादिनी शक्ति हैं। कृष्ण परमात्मा हैं, और गोपियाँ जीवात्मा हैं।


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